जैन मंदिरों में पर्वाधिराज पर्यूषण के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की पूजा-अर्चना की गई। साथ ही रात्रि में मंदिर प्रांगण में महाआरती के उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रदीप शास्त्री जी ने बताया कि अपने भीतर से छल कपट को त्यागकर सरल जीवन जीना ही उत्तम आर्जव धर्म है।
गुरुवार को नगर के श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर सरागवाडा, मंदिर जी बाहरा, पंचायती मंदिर नेचलगढ और श्री 1008 भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर कानूनगोयान में पयूर्षण पर्व का तीसरा दिन उत्तम आर्जव धर्म के रूप में मनाया गया। पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन नगर के मंदिरों में श्रीजी का अभिषेक, नित्यनियम पूजन एवं उत्तम आर्जव धर्म की पूजा की गई। साथ ही श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर बाहरा में सोलह कारण भावना व दशलक्षण धर्म विधान में विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर महामुनिराज राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के शिष्य प्रदीप शास्त्री जी पीयूष ने बताया कि जीवन की सबसे अधिक उलझने दिखावे और आडंबरों की देन है। उन्होंने बताया कि जब तक मनुष्य अपने भीतर से छल कपट और मायाचारी को त्यागकर सादगी भरा जीवन व्यतीत नहीं करेगा तब तक वह उलझनों में ही उलझा रहेगा। उन्होंने बताया कि जब हमारे भीतर कठोरता का वास होता है तो आस पास का परिवेश भी दूषित हो जाता है। इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारे व्यवहार से किसी को कष्ट न हो। शास्त्री जी ने श्रद्धालुओ को ईमानदारी, सरलता, सादगी और मन को कोमल रखने की शिक्षा दी। साथ ही रात्रि में श्री दिगंबर जैन मंदिर बाहरा में महाआरती के उपरांत बूझो तो जाने धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विजयताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान मोना जैन, महेश चंद जैन, सुरेश जैन, रविन्द्र जैन, मोनिका जैन, अनिल जैन, चंदन बाला जैन, अंकित जैन, अतुल जैन, मुकेश जैन, श्रीचंद जैन, आशीष जैन, सुरभि जैन, पूनम जैन, पायल जैन, डोली जैन, धैर्य जैन, ध्वज जैन, प्रांशु जैन, लक्ष्य जैन, पारस जैन, हर्षित जैन, प्रत्यूष जैन आदि मौजूद रहे।